Monday, December 21, 2015

No more monthly sessions until further notice.



No more monthly sessions until further notice. 

Saturday, January 17, 2015

अगली गोष्ठी 28 नवम्बर को

समय: सायं 6 बजे
मेजबान - राहुल एवं मंजु उपाध्याय
पता: 20641 NE 30th CT, Sammamish, WA 98074
फोन: 513-341-6798

नमस्ते:


आप सब सादर आमंत्रित हैं अगली काव्य-गोष्ठी में। इस गोष्ठी में आप की स्वरचित रचनाओं का स्वागत है और आपकी उन रचनाओं का भी स्वागत हैं जो आप की नहीं हैं लेकिन आपको पसंद है। भाषा हिंदी हो या हिंदी से जुड़ी हुई हो। विषय पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

अगर आप सिर्फ़ सुनने का शौक रखते हैं, तब भी आपका तह--दिल से स्वागत है। सिएटल क्षेत्र के कविगण चाहते हैं कि उन्हें आप जैसे श्रोता मिलें।

इस गोष्ठी में आपका पूरा परिवार आमंत्रित हैं - बीवी-बच्चों-माता-पिता सहित।

कार्यक्रम की रुपरेखा:
6 बजे से 8 बजे तक: काव्यपाठ

8 बजे से 9 बजे तक: भोजन

9 बजे से 11 बजे तक: गीत-संगीत

सद्भाव सहित,
राहुल

Friday, July 11, 2008

अगली गोष्ठी कब होगी?


अभी कुछ निश्चित नहीं है. जब तय हो जाएगा तो सूचना दे दी जाएगी.

राहुल
बहे जीवन जैसे बहे रिवर्स, बहे फ़ॉरवर्ड नहीं बहे रिवर्स




28 जून की गोष्ठी का ब्यौरा

28 जून को मौसम बहुत अच्छा था इसलिए कुछ कम लोग आ पाए। लेकिन मौसम आया, और मौसम की तरह उसका साथ बहुत अच्छा लगा।

एक बार किसी ने मुझसे पूछा था कि कविता, ग़ज़ल, नज़्म, रुबाई, छंद, सवैया, कुंडली आदि में क्या अंतर है। सोचा ये इंटरनेट पर कहीं न कहीं तो मिल ही जाएगा। सारी जानकारी तो नहीं मिली, लेकिन कुछ मदद इस शोधकार्य से अवश्य मिल सकती है।

कवि गोष्ठी में क्या हुआ?

प्रशांत खरे ने तुलसी दास रचित रामचरितमानस में से एक छंद सुनाया जिसमें श्री राम कौशल्या की संतान भी है और ईश्वर भी।

निहित कौल ने अपनी विरह कविता छोड़ कर अन्य ग़ज़ल/कविताएँ सुनाई। लयबद्ध।

मौसम ने अपनी माँ (रंजना अग्रवाल) और नानी की बेहतरीन ग़ज़लें गा कर सुनाई।

अभिनव शुक्ल ने अपनी नई कविताओं को प्रस्तुत किया। उनमें से एक थी महाभारत के उस प्रसंग पर जब अर्जुन और दुर्योधन श्री कृष्ण के पास जाते हैं उन से सहायता मांगने - कुरुक्षेत्र के युद्ध में।

मैंने निम्नलिखित कविताएँ सुनाई -
उसकी बातों में 'गर दम होता
बिचारा हिंदू
बदलते ज़माने के बदलते ढंग हैं मेरे
जो दबता है उसी को दुनिया दबाती है
वो लम्हा
घड़ी


तीन पैरोडी
मैंने पूछा एन-आर-आई से
एन-आर-आई
जवानी

दो कामेडी
पंचलाईन
पंचलाईन #2


और एक व्यंग्य
सोना

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रामचरितमानस का छंद:

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी ।
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी ॥
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता ।
माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता ॥
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता ॥
ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै ।
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर पति थिर न रहै ॥
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥
माता पुनि बोली सो मति डौली तजहु तात यह रूपा ।
कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ॥
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा ॥
Pasted from <http://ramayan.wordpress.com/2006/07/24/balkand/>


महाभारत का प्रसंग:
महाभारत का युद्ध प्रारंभ होने में कुछ दिन ही शेष थे। कौरव और पाण्डव अपनी-अपनी तैयारियाँ कर रहे थे युद्ध के लिए। अपने-अपने पक्ष के राजाओं को निमंत्रित कर रहे थे। भगवान श्री कृष्ण को निमन्त्रित करने के लिए अर्जुन और दुर्योधन दोनों एक साथ पहुंचे। भगवान ने दोनों के समक्ष अपना चुनाव प्रश्न रखा। एक ओर अकेले शस्त्रहीन श्रीकृष्ण और दूसरी ओर श्रीकृष्ण की सारी सशस्त्र सेना-इन दोनों में से जिसे जो चाहिए वह माँग ले। दुर्योधन ने सारी सेना के समक्ष निरस्त्र कृष्ण को अस्वीकार कर दिया; किन्तु अपने पक्ष में अकेले निरस्त्र भगवान् कृष्ण को देखकर अर्जुन मन-ही-मन बड़ा प्रसन्न हुआ। अर्जुन ने भगवान् को अपना सारथी बनाया। भीषण संग्राम हुआ। अन्ततः पांडव जीते और कौरव हार गये। इतिहास साक्षी है कि बिना लड़े भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन का सारथी मात्र बनकर पाण्डवों को जिता दिया और शक्तिशाली सेना प्राप्त करके भी कौरव को हारना पड़ा। दुर्योधन ने भूल की जो स्वयं भगवान् के समक्ष सेना को ही महत्त्वपूर्ण समझा और सैन्य बल के समक्ष भगवान, को ठुकरा दिया।
Pasted from <http://pustak.org/bs/home.php?bookid=4190>

Thursday, June 12, 2008

अगली गोष्ठी 28 जून को

समय: सायं 4 बजे
पता: 20641 NE 30Th CT, Sammamish, WA 98074
फोन: 425-898-9325 घर 425-445-0827 मोबाईल

पश्चिम की और झुकाव क्यों? यहाँ पढ़ें
शिक्षा का परिणाम? यहाँ पढ़ें


नमस्ते:
आप सब सादर आमंत्रित हैं अगली काव्य-गोष्ठी में। इस गोष्ठी में आप की स्वरचित रचनाओं का स्वागत है और आपकी उन रचनाओं का भी स्वागत हैं जो आप की नहीं हैं लेकिन आपको पसंद है। भाषा हिंदी हो या हिंदी से जुड़ी हुई हो। विषय पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

अगर आप सिर्फ़ सुनने का शौक रखते हैं, तब भी आपका तह-ए-दिल से स्वागत है। सिएटल क्षेत्र के कविगण चाहते हैं कि उन्हें आप जैसे श्रोता मिलें।

इस गोष्ठी में आपका पूरा परिवार आमंत्रित हैं - बीवी-बच्चों-माता-पिता सहित।

पिछले महीने की गोष्ठी का विवरण यहाँ देखें।

कार्यक्रम की रुपरेखा:
4 बजे से 5 बजे तक
5 बजे से 7 बजे तक: काव्यपाठ
7 बजे से 9 बजे तक: भोजन
9 बजे से 11 बजे तक: गीत-संगीत-अंताक्षरी आदि

सद्भाव सहित,
राहुल

Wednesday, May 28, 2008

Poetry session: A report (May 24th)


On May 24th, we had a get together to appreciate and enjoy Hindi literature।
- Rukmini recited few of her heartfelt ghazals। And one by Shakeel Badaayuni
- Nihit sang his composition which recounted how he longed for his wife while she was away back home in India। He also read "Kutte" written by Faiz Ahmad Faiz
- Sher read few sher's from shaayari lifted from the internet। He also read Kaka Hatharasi's "motiabind" and "Masoori ki sair"
- Rita recited a beautiful nazm “Qaidi #786” from Veer-Zara. And also a ghazal "saamane hai jo use log buraa kahate hai.n" written by Sudarshan Faakir
- Manju read inspiring incidents from the life of Baa and Bapu।
- Santosh sang his chhands on Ram and Krishna
- Abhinav read his new poems and then sang his evergreen creation "Valentine"
- Farha read her own brand new poetry - one in response to my Long Weekend poem। Another one was addressed to Abhinav. And then she had two additional beautiful ghazals.
- I read following:

लकीरें
भूलते नहीं हम
बंजर
मैं आरगेनिक नहीं हूँ
मेरे नाना
मेरा 6 साल का बेटा
मैं बहता दरिया
कोई अपना
लांग वीकेंड

- Sanjeev K sang Jagjit's popular number "Ye daulat bhii le lo" written by Sudarshan Faakir.
- Pradeep sang Hemant Kumar classic "Tum Pukar Lo" and other bollywood greats.
- Hemant sang SD Burman Classic "musaafir jaaegaa kahaaN"
- Soumya sang a ghazal from Jagjit Singh and then "paa.nv chhu lene do" and "ghungharuu kii tarah"
- Pushpa A sang Ghalib's ghazal "Dil-e-naadaan tujhe huaa kyaa hai"



Next session is on June 28th and I expect the same local artists (Rukmini, Farha, Abhinav, Santosh, Nihit, Soumya, Rita, Sher) to attend, in addition to other local talent such as Aniruddh, Sanjeev S, Chandana Dixit, Vikas Gupta, Shivam, Govind, Jay, Subhash and Pushpa Saxena।


Best regards
Rahul
A picture may be worth a thousand words। But mere words can inspire millions.

Wednesday, May 7, 2008

अगली गोष्ठी 24 मई को

समय: सायं 4 बजे
पता: 20641 NE 30Th CT, Sammamish, WA 98074
फोन: 425-898-9325 घर 425-445-0827 मोबाईल

मातृ-दिवस पर कविता? यहाँ पढ़ें
शिक्षा का परिणाम? यहाँ पढ़ें

नमस्ते:

आप सब सादर आमंत्रित हैं अगली काव्य-गोष्ठी में। इस गोष्ठी में आप की स्वरचित रचनाओं का स्वागत है और आपकी उन रचनाओं का भी स्वागत हैं जो आप की नहीं हैं लेकिन आपको पसंद है। भाषा हिंदी हो या हिंदी से जुड़ी हुई हो। विषय पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

अगर आप सिर्फ़ सुनने का शौक रखते हैं, तब भी आपका तह-ए-दिल से स्वागत है। सिएटल क्षेत्र के कविगण चाहते हैं कि उन्हें आप जैसे श्रोता मिलें।

इस गोष्ठी में आपका पूरा परिवार आमंत्रित हैं - बीवी-बच्चों-माता-पिता सहित।

पिछले महीने की गोष्ठी का विवरण यहाँ देखें।

कार्यक्रम की रुपरेखा:
4 बजे से 5 बजे तक
5 बजे से 7 बजे तक: काव्यपाठ
7 बजे से 9 बजे तक: भोजन
9 बजे से 11 बजे तक: गीत-संगीत-अंताक्षरी आदि

सद्भाव सहित,
राहुल
जहाँ है वन, वहीं है “हैवन”